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अकलतरा में सूचना का अधिकार (RTI) के तहत मांगी गई जानकारी न देने का आरोप, लिपिक अविनाश खण्डेल की लापरवाही पर सवाल

जांजगीर-चाम्पा, 7 जून 2025: छत्तीसगढ़ के जांजगीर-चाम्पा जिले के अकलतरा विकास खंड में सूचना का अधिकार (RTI) अधिनियम, 2005 के तहत मांगी गई जानकारी न देने का मामला सुर्खियों में है। सूचना का अधिकार (RTI) कार्यकर्ता युवराज सिंह ने विकास खंड शिक्षा अधिकारी (BEO) कार्यालय, अकलतरा के लिपिक अविनाश खण्डेल पर गंभीर आरोप लगाए हैं। युवराज ने दावा किया कि जनसूचना अधिकारी ने उनके सूचना का अधिकार (RTI) आवेदन को लिपिक को जानकारी देने के लिए मार्क किया था, लेकिन लिपिक अविनाश खण्डेल की लापरवाही के कारण 30 दिन की वैधानिक समय सीमा बीतने के बाद भी कोई जवाब नहीं मिला। इस मामले में युवराज सिंह अब छत्तीसगढ़ राज्य सूचना आयोग में शिकायत दर्ज करने की तैयारी कर रहे हैं।

सूचना का अधिकार (RTI) आवेदन का विवरण युवराज सिंह ने 11 अप्रैल 2025 को दायर अपने सूचना का अधिकार (RTI) आवेदन में कार्यालय संयुक्त संचालक, शिक्षा संभाग, बिलासपुर के पत्र (क्रमांक/स्था.1/निर्देश/2020 S-139, दिनांक 27.11.2020) के आधार पर शिक्षकों और कर्मचारियों की सेवा पुस्तिका अद्यतन से संबंधित जानकारी मांगी थी। आवेदन में निम्नलिखित बिंदुओं पर सत्यापित जानकारी की मांग की गई थी:


सेवा पुस्तिका अद्यतन की स्थिति: कितने शिक्षकों, कर्मचारियों और अधिकारियों की सेवा पुस्तिकाएं पूर्ण रूप से अद्यतन हैं, जिसमें नॉमिनेशन, सेवा सत्यापन, छुट्टी प्रविष्टियाँ, नियमित वेतन वृद्धि, समयमान वेतनमान, फॉर्म 16, और कार्मिक संपदा जैसे दस्तावेजों का विवरण।


शिविर आयोजन की जानकारी: सेवा पुस्तिका अद्यतन के लिए आयोजित शिविरों की तारीख, स्थान, अवधि, और अद्यतन की गई सेवा पुस्तिकाओं की संख्या, साथ ही अधिसूचना और सहभागियों की सूची।


अद्यतन न होने वाले कर्मचारियों को सूचित करने के कदम जिन कर्मचारियों की सेवा पुस्तिकाएं अद्यतन नहीं हुई हैं, उन्हें सूचित करने के लिए उठाए गए कदम, पत्रों की संख्या, तारीख, और यदि पत्र जारी नहीं हुए तो उसका विवरण।


प्रगति रिपोर्ट: निर्देशों के अनुपालन में तैयार की गई प्रगति रिपोर्ट या आंतरिक समीक्षा की प्रति, और संयुक्त संचालक, शिक्षा संभाग, बिलासपुर को भेजी गई जानकारी।


लिपिक की लापरवाही पर सवाल युवराज सिंह ने बताया कि जनसूचना अधिकारी ने उनके आवेदन को कार्यालय के लिपिक अविनाश खण्डेल को जानकारी देने के लिए भेजा था। सूचना का अधिकार (RTI) अधिनियम, 2005 के अनुसार, जनसूचना अधिकारी को 30 दिनों के भीतर जानकारी प्रदान करना अनिवार्य है। हालांकि, लिपिक अविनाश खण्डेल ने न तो समय पर जानकारी दी और न ही कोई स्पष्टीकरण दिया। युवराज ने इसे गंभीर लापरवाही करार देते हुए कहा, "लिपिक अविनाश खण्डेल की उदासीनता ने न केवल सूचना का अधिकार (RTI) अधिनियम का उल्लंघन किया, बल्कि शिक्षा विभाग में पारदर्शिता के प्रयासों को भी बाधित किया। यह जनता के प्रति जवाबदेही की कमी को दर्शाता है।"


राज्य सूचना आयोग में शिकायत की तैयारी युवराज सिंह ने कहा कि लिपिक अविनाश खण्डेल की लापरवाही और जनसूचना अधिकारी की निष्क्रियता के खिलाफ वे छत्तीसगढ़ राज्य सूचना आयोग में शिकायत दर्ज करेंगे। उन्होंने कहा, "मैंने शिक्षा विभाग में पारदर्शिता सुनिश्चित करने के लिए यह जानकारी मांगी थी, लेकिन लिपिक की लापरवाही और कार्यालय की उदासीनता से मुझे निराशा हुई है। मैं आयोग से इस मामले में कड़ी कार्रवाई की मांग करूंगा।"


शिक्षा विभाग की कार्यप्रणाली पर सवाल यह मामला न केवल लिपिक अविनाश खण्डेल की लापरवाही को उजागर करता है, बल्कि शिक्षा विभाग की कार्यप्रणाली पर भी सवाल उठाता है। सेवा पुस्तिका अद्यतन जैसे महत्वपूर्ण कार्यों में देरी से कर्मचारियों के वेतन, पेंशन, और अन्य लाभ प्रभावित हो सकते हैं। यह RTI अधिनियम के प्रभावी कार्यान्वयन में कमी को भी दर्शाता है।


सूचना का अधिकार (RTI) कार्यकर्ताओं को अक्सर जानकारी प्राप्त करने में देरी, अस्वीकृति, या धमकियों का सामना करना पड़ता है। एक रिपोर्ट के अनुसार, भारत में सूचना का अधिकार (RTI) कार्यकर्ताओं पर 300 से अधिक हमले और उत्पीड़न के मामले दर्ज किए गए हैं, जिनमें 51 हत्याएं और 5 आत्महत्याएं शामिल हैं। युवराज सिंह जैसे कार्यकर्ता भ्रष्टाचार और अनियमितताओं को उजागर करने के लिए संघर्षरत हैं, लेकिन प्रशासनिक लापरवाही उनके प्रयासों को चुनौती दे रही है।


जनसूचना अधिकारी की चुप्पी विकास खंड शिक्षा अधिकारी, अकलतरा ने इस मामले पर कोई आधिकारिक बयान जारी नहीं किया है। यह देखना बाकी है कि क्या कार्यालय इस मामले में कोई कदम उठाता है या मामला आयोग तक पहुंचता है।


निष्कर्ष यह मामला सूचना का अधिकार (RTI) अधिनियम के तहत पारदर्शिता और जवाबदेही सुनिश्चित करने में प्रशासनिक लापरवाही को उजागर करता है। लिपिक अविनाश खण्डेल की उदासीनता और जनसूचना अधिकारी की निष्क्रियता से न केवल युवराज सिंह जैसे कार्यकर्ताओं का विश्वास टूटता है, बल्कि आम जनता का प्रशासन पर भरोसा भी कम होता है। अब सभी की निगाहें राज्य सूचना आयोग की कार्रवाई पर टिकी हैं।


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