श्रमिक नेता अनिल पाटले को भू-विस्थापित कर्मचारियों का मिल रहा जन समर्थन
एसईसीएल की दीपका परियोजना में यूनियन गतिविधियों को लेकर एक बार फिर सरगर्मी बढ़ गई है। दो कुछ माह पूर्व एसईसीएल गेवरा से स्थानांतरित हुए कर्मचारी अनिल पाटले को सैकड़ों भू-स्थापित कर्मचारी अपना संभावित नेता मान रहे हैं।
अनिल पाटले पहले गेवरा में कार्यरत थे और दीपका खदान विस्तार के दौरान जमीन और भू विस्थापितों की समस्याओं को लेकर उनकी भूमिका अहम मानी जा रही है । प्रबंधन द्वारा उन्हें स्थानीय और प्रभावशाली जननेता के रूप में मानते हुए दीपका मेगा प्रोजेक्ट के योग्यता अनुसार निजी कंपनियों में रोजगार और पुनर्वास के स्थाई समाधान के लिए प्रबंधन ने एक कमेटी बनाई है जिसमें स्थानीय श्रमिक नेता अनिल पाटले को समिति में शामिल किया है। खदान विस्तार की संभावनाओं को लेकर इनकी भूमिका अहम हो सकती है।
पूर्व में वे मजदूर संगठन से जुड़े रहे हैं और उनके कार्यकाल में ठेका श्रमिकों की कई समस्याओं का समाधान हुआ। उनकी लोकप्रियता को देखते हुए कई यूनियन संगठन उन्हें जोड़ने की कोशिश में लगे हैं।
अब यह देखना दिलचस्प होगा कि अनिल पाटले आने वाले दिनों में किस यूनियन में शामिल होते हैं, यह आने वाला समय बताएगा।
फिलहाल अनिल पाटले स्थानीय श्रमिक परिवारों के बीच में जन हितेषी बने हुए हैं और उनके बीच में काफी लोकप्रिय भी है।