बैंक में जमा मूलभूत मद से मिलने वाले ब्याज की राशि को हड़पने लगे जिपं में सालो से जमे अधिकारी
राशि पाने निर्वाचित पंचायत प्रतिनिधि रोजाना काट रहे कार्यालय का चक्कर

जांजगीर–चांपा। बिलासपुर के मस्तूरी में वित्तीय अनियमितता और महासमुंद जिले में विवादों में रहने के बाद अब जिम्मेदार अधिकारी के चलते जांजगीर-चांपा जिले के पंचायतों में भी राशि गड़बड़ी के मामले सामने आने लगे हैं। लगातार शिकायतों के बावजूद जिम्मेदार अधिकारी मौन हैं। विभागीय उदासीनता और भ्रष्टाचार में संलिप्त अधिकारियो पर कार्रवाई न होने से पंचायतों के विकास कार्य प्रभावित हो रहे हैं और शासन को भी राजस्व का नुकसान हो रहा है। आरोप है कि विकास कार्यों के लिए मिली राशि पंचायत खातों में जमा नहीं की जा रही और उससे मिलने वाले ब्याज की लाखों रुपये को हड़पने की तैयारी पिछले कई सालो से जमे जिला पंचायत के अधिकारी कर रहे हैं।
दरअसल सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार वर्तमान में जिला पंचायत में पदस्थ उप संचालक अभिमन्यु साहू दशक भर पहले बिलासपुर जिले के जनपद पंचायत मस्तूरी में सीईओ के पद पर पदस्थ थे। इस दौरान मस्तूरी में कार्यकाल के दौरान सरपंच व सचिवों के अधिकारों का हनन करने के संबंध में जिला पंचायत प्रशासन को शिकायत मिली थी। इसे गंभीरता से लेते हुए तत्कालीन जिला पंचायत सीईओ नीरज कुमार बनसोड ने जांच टीम गठित की। जांच टीम ने अपनी रिपोर्ट जिला पंचायत सीईओ को सौंपी। इसके अनुसार विद्युत कंपनी ने मस्तूरी ब्लॉक के ग्राम भवन, स्ट्रीट लाइट आदि के बकाया बिजली बिल के भुगतान के लिए ब्लॉक सीईओ को पत्र लिखा था। इस बिल का भुगतान करने के लिए सरपंचों को नोटिस जारी करने के बजाय तत्कालीन सीईओ श्री साहू ने सीधे यूको बैंक प्रबंधन को पत्र लिख दिया। करीब 50 लाख रुपए की गड़बड़ी उजागर हुई है। इसी तरह सूत्रों के अनुसार महासमुन्द जिले में पंचायत प्रतिनिधियों ने भी पंचायत अधिकारी अभिमन्यु साहू फिर से विवादों में रहे। इस दौरान भी कई जनप्रतिनिधियो ने पंचायत अधिकारी अभिमन्यु साहू की शिकायत उच्चधिकारियो से की थीं। हालांकि साल भर बाद उनका स्थानांतरण वर्ष 2019 में महासमुन्द से जिला जांजगीर-चाम्पा हो गया है। पिछले 6 सालो से श्री साहू जिला पंचायत में उप संचालक के पद पर जमे हुए है। विभागीय सूत्रों के अनुसार इस दौरान भी उनके खिलाफ वित्तीय अनियमितता मिल चुकी है। बावजूद इसके जिम्मेदार अधिकारी मौन है। वहीं विकास कार्यों के लिए मिली राशि पंचायत खातों में जमा नहीं की जा रही और उससे मिलने वाले ब्याज की लाखों रुपये को हड़पने की तैयारी पिछले कई सालो से जमे जिला पंचायत के अधिकारी कर रहे हैं। हालांकि मामला उजागर होने के बाद जिम्मेदार अधिकारी एक दूसरे को जिम्मेदार ठहरा रहे है।
आबंटन के बाद पंचायतो का बैंक खाता खाली, इधर राशि के आभाव में विकास कार्य अधूरे
विभागीय सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार ग्राम पंचायतों को हर वर्ष जनसंख्या के आधार पर विकास कार्यों के लिए राज्य सरकार द्वारा लाखों रुपये स्वीकृत किए जाते हैं। यह राशि जिला पंचायत के माध्यम से संबंधित ग्राम पंचायतों के खातों में जमा की जानी चाहिए। लेकिन इस वर्ष सरकारी राशि मिलने के कई माह बाद भी अधिकांश पंचायतों को उनके हिस्से का धन नहीं पहुंच पाया है। बताया जा रहा है कि जिला पंचायत के खाते में जमा करोड़ों रुपये पर हर माह लाखों रुपये का ब्याज प्राप्त हो रहा है, जिसे जिम्मेदार अधिकारी दबाए बैठे हैं। यही कारण है कि पंचायत प्रतिनिधियों को अपनी मूलभूत विकास राशि प्राप्त करने के लिए बार-बार जिला पंचायत कार्यालय के चक्कर लगाने पड़ रहे हैं। राशि के अभाव में कई पंचायतों के आवश्यक विकास कार्य, जैसे नाली निर्माण, सड़क मरम्मत, पेयजल सुधार और सामुदायिक भवनों का रखरखाव अधर में लटके हुए हैं, जिससे ग्रामीणों में नाराजगी बढ़ती जा रही है।
अंगद की पाव की तरह जमे उप संचालक, नहीं छूट रहा जिले से मोह
छह साल से पद पर जमे उप संचालक अभिमन्यु साहू का मोह अब भी नहीं छूट रहा है। विभागीय तबादला नीति और वरिष्ठ अधिकारियों के निर्देशों के बावजूद वे उसी पद पर बने हुए हैं। सूत्रों के अनुसार, बार-बार स्थानांतरण आदेश जारी होने के बाद भी वे प्रभावशाली संपर्कों के सहारे पद पर टिके हैं। विभाग में चर्चा है कि लंबे समय से एक ही स्थान पर रहने से विभागीय कार्यो पर नकारात्मक प्रभाव पड़ा है। विभागीय सूत्रों के अनुसार अधिकारी-कर्मचारियों में असंतोष है और उनकी पारदर्शिता पर सवाल उठ रहे हैं। अब देखना होगा कि विभाग कार्रवाई करता है या स्थिति यूं ही बनी रहती है।






