छात्र-छात्राएं मोबाइल का उपयोग कम कर जीवन में एक लक्ष्य बनाकर लक्ष्य की ओर अग्रसर हो: मुनिसंघ
12 वर्ष बाद नगर में मुनिसंघ का प्रवेश आज

अकलतरा - महासमाधि धारक परम पूज्य
आचार्य विद्यासागर महाराज से दीक्षित एवं परम पूज्य आचार्य श्री समयसागर महाराज के आज्ञानुवर्ती शिष्य मुनि श्री धर्म सागर महाराज एवं मुनि श्री भाव सागर महाराज का मंगल प्रवेश पामगढ़ जिला जांजगीर चांपा में हुआ पामगढ़ में मुनिसंघ की आहारचर्या संपन्न होने के बाद पामगढ़ से दोपहर 2 बजे पदविहार हुआ, पामगढ़ से गांव पकरिया (झूलन) होते हुए मुनिसंघ का ग्राम बनाहिल में स्थित श्री ऋषभ विद्योदय महाविद्यालय में आगमन हुआ, महाविद्यालय के संचालक डॉ जे के जैन, सचिव अंकित जैन द्वारा मुनिसंघ से आशीर्वाद प्राप्त किया गया, महाविद्यालय परिसर में छात्र-छात्राओं को संबोधित करते हुए मुनि श्री 108 भावसागर महाराज ने कहा कि वर्तमान युग में शिक्षा का महत्व बढ़ाने के साथ शिक्षा के क्षेत्र में प्रतिस्पर्धा बढ़ते ही जा रही है, हम मोबाइल का अत्यधिक उपयोग करने के साथ उसके आदि होते जा रहे हैं इसका अधिक उपयोग करने से हमें गंभीर परिणाम भुगतना पड़ेगा छात्र-छात्राएं मोबाइल का उपयोग कम करने के साथ जीवन में एक लक्ष्य बनाकर लक्ष्य की ओर अग्रसर हो सफलता जरूर मिलेगी, जीवन में हमें अपने माता-पिता एवं गुरुओं का सम्मान नहीं भुलना चाहिए गुरु ही हमें जीवन में अंधकार से प्रकाश की ओर ले जाते हैं।
भक्ति से तन ,मन ,वचन ,वतन, धन ,जीवन सफल हो जाता है, पूजा भक्ति एक अमृत रस है। भक्ति से शरीर मन, आत्मा ,हृदय शुद्ध होते है एवं समाज, देश, परिवार शुद्ध होता है। मोक्ष के द्वार का ताला भक्ति रूपी चाबी से खोला जाता है। भक्ति पापी मन को पवित्र करती है, तल्लीनता से भक्ति करने से अतिशय चमत्कार होते हैं। भक्ति से आनंद, उत्साह, सफलता की प्राप्ति होती है।भक्ति से ऊर्जा मिलती है।
आप ऐसी भावना करें
हे प्रभु मेरे पैरों में इतनी शक्ति देना की दौड़-दौड़ कर आपके दरवाजे आ सकूं तीर्थ क्षेत्र की वंदना कर सकू, मुझे ऐसी सद्बुद्धि देना कि सुबह शाम घुटने के बल बैठकर आपको नमस्कार कर सकूं, जब तक जिऊँ जीभ पर आपका नाम रहे, प्रेम से भरी हुई आंखें देना, श्रद्धा से झुका हुआ सिर देना, सहयोग करते हुए हाथ देना, सत्पथ पर चलते हुए पाव देना और स्मरण करता हुआ मन देना अपनी कृपा दृष्टि और सद्बुद्धि देना। भक्ति मुक्ति महल की चाबी है, गुणीजनों में दान, पूजा, विनय का भाव होना भक्ति है, भक्ति सर्वश्रेष्ठ रस है, भक्ति जीने की कला सिखाती है, भक्ति श्रद्धा की कसौटी है। पूजा भक्ति एक सरिता है, विनय भक्ति का श्रेष्ठ तरीका है। प्रभु के गुण अनुराग को भक्ति पूजा, अर्चना, वंदना या प्रार्थना कहते हैं, जिससे विशेष शक्तियों की प्राप्ति होती है, और आध्यात्मिक सिद्धियां प्रकट होती है, मन का विकार धुल जाता है, इससे शरीर समाज, देश, परिवार विश्व शुद्ध होता है, कार्यक्रम में महाविद्यालय की प्राचार्य डॉ शिखा सिंह, नवल सिंह महाविद्यालय के समस्त स्टाफ एवं छात्र-छात्राएं बड़ी संख्या में उपस्थित रहे।
12 वर्ष बाद नगर में मुनिसंघ का प्रवेश - मुनि धर्म सागर महराज एवं मुनि भाव सागर महाराज का सिवनी मध्य प्रदेश से सम्मेदशिखर तीर्थक्षेत्र झारखंड के लिए पदविहार चल रहा है । मुनिसंघ द्वारा अब तक 500 किलोमीटर की पदयात्रा पूर्ण की जा चुकी है। मुनिसंघ का सन 2013 में नगर में आगमन हुआ था 12 वर्ष बाद 3 दिसंबर को तरौद, मिनीमाता चौक, अग्रसेन चौक, अंबेडकर चौक, शास्त्री चौक, बजरंग चौक होते हुए सुबह 9 बजे जैन मंदिर में आगमन होगा, जैन समाज द्वारा मुनि संघ के आगवानी की जोरशोर से तैयारी की जा रही है।








